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"पतवार / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर
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+ | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार। | ||
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− | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज | + | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार। |
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− | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज | + | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार। |
− | + | यह असीम, निज सीमा जाने | |
− | + | सागर भी तो यह पहचाने | |
− | कभी | + | मिट्टी के पुतले मानव ने |
− | + | कभी ना मानी हार | |
− | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज | + | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार। |
− | + | सागर की अपनी क्षमता है | |
− | सागर भी | + | पर माँझी भी कब थकता है |
− | + | जब तक साँसों में स्पन्दन है | |
− | + | उसका हाथ नहीं रुकता है | |
+ | इसके ही बल पर कर डाले | ||
+ | सातों सागर पार | ||
− | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज | + | तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार। |
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09:35, 5 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार।
आज सिन्धु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज ह्रदय में और सिन्धु में
साथ उठा है ज्वार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार।
लहरों के स्वर में कुछ बोलो
इस अंधड में साहस तोलो
कभी-कभी मिलता जीवन में
तूफानों का प्यार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार।
यह असीम, निज सीमा जाने
सागर भी तो यह पहचाने
मिट्टी के पुतले मानव ने
कभी ना मानी हार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार।
सागर की अपनी क्षमता है
पर माँझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार।