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"क्या तुम बताओगी? / हरिपाल त्यागी" के अवतरणों में अंतर
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11:01, 21 मार्च 2017 के समय का अवतरण
कंधे पर टिका हुआ
ट्रंक मन भर का,
बिस्तर भी भारी है
पीठ पर बंधा हुआ।
सामने से आ रहा
गोरखा सैनिक एक।
पसीने से तर-ब-तर
हांफता-झपटता हुआ।
गुमखाल उतरा था
मिली न आखिरी बस
लैंस डाउन जाने का
पूछ रहा शॉर्ट कट।
नया-नया आया है,
उसे नहीं मालूम-
(दिल्ली नहीं है यह)
मंजिल तक पहुंचने का
यहां न कोई बैक डोर,
यहां न कोई शॉर्ट कट!