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वो भी पाँच-पाँच | वो भी पाँच-पाँच | ||
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तुम कुछ दंभ से कहा करती थीं | तुम कुछ दंभ से कहा करती थीं | ||
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यह जताती हुई कि | यह जताती हुई कि | ||
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कितनी अलग हो दुनिया से | कितनी अलग हो दुनिया से | ||
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लेकिन आँख बचा के | लेकिन आँख बचा के | ||
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अपने काल-कवलित बेटों के लिए | अपने काल-कवलित बेटों के लिए | ||
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रो लेती थीं | रो लेती थीं | ||
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यूँ सामान्य-सी बनती कि | यूँ सामान्य-सी बनती कि | ||
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आँख में कुछ गिर गया | आँख में कुछ गिर गया | ||
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तुम अलग थीं | तुम अलग थीं | ||
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संदेह नहीं, अपनी दुनिया से | संदेह नहीं, अपनी दुनिया से | ||
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पर मैं तुम में बेहद साधारण माँ खोजती रही | पर मैं तुम में बेहद साधारण माँ खोजती रही | ||
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18:36, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
मैंने बेटियाँ जनी हैं
वो भी पाँच-पाँच
तुम कुछ दंभ से कहा करती थीं
यह जताती हुई कि
कितनी अलग हो दुनिया से
लेकिन आँख बचा के
अपने काल-कवलित बेटों के लिए
रो लेती थीं
यूँ सामान्य-सी बनती कि
आँख में कुछ गिर गया
तुम अलग थीं
संदेह नहीं, अपनी दुनिया से
पर मैं तुम में बेहद साधारण माँ खोजती रही