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"मुने एकली जानी ने / गुजराती लोक गरबा" के अवतरणों में अंतर

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मुने एकली जाणी ने कान ऐ छेडी रे....
 
मुने एकली जाणी ने कान ऐ छेडी रे....
  

00:31, 30 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मुने एकली जाणी ने कान ऐ छेडी रे....


मारो गरबो ने मेली ने हालतों था..

नही तो कही दऊँ यशोदा ना कान माँ...


मुने एकली जाणी ने कान ऐ काने छेडी रे..


बेडलुं लैने हूँ तो सरोवर गई थी..

पाछी वडी ने जोयु तो बेडलुं चोराई गयू

मारा बेडला नो चोर मारे केम लेवो खोळी

पछी कही दऊँ यशोदा ना कान माँ...


मुने एकली जाणी ने काने छेडी रे..

मुने एकली जाणी ने काने छेडी रे..