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"एक ज़ालिम की मेहरबानी पे मैं छोड़ा गया / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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जां से लेकर ज़िस्म तक सौ बार मैं तोड़ा गया
  
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पहले तो मेरी ज़बाँ सिल दी गयी फिर बाद में
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ठीकरा तक़दीर का सर पर मेरे फोड़ा गया
  
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आपके दरबार में सच बोलना भी जुर्म है
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बाग़ियों के साथ मेरा नाम भी जोड़ा गया
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वह लुटेरा ले गया बेशक बहुत कुछ लूटकर
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बच गया ईमाँ  समझ लो जो गया थोड़ा गया
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पंख कट जायें भले ज़िंदा पकड़ में आयें हम
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तीर ऐसा जानकर मेरी तरफ़ छोड़ा गया
 
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15:46, 13 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

एक ज़ालिम की मेहरबानी पे मैं छोड़ा गया
जां से लेकर ज़िस्म तक सौ बार मैं तोड़ा गया

पहले तो मेरी ज़बाँ सिल दी गयी फिर बाद में
ठीकरा तक़दीर का सर पर मेरे फोड़ा गया

आपके दरबार में सच बोलना भी जुर्म है
बाग़ियों के साथ मेरा नाम भी जोड़ा गया

वह लुटेरा ले गया बेशक बहुत कुछ लूटकर
बच गया ईमाँ समझ लो जो गया थोड़ा गया

पंख कट जायें भले ज़िंदा पकड़ में आयें हम
तीर ऐसा जानकर मेरी तरफ़ छोड़ा गया