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17:08, 16 अप्रैल 2024 के समय का अवतरण
रास्ता बनकर रहा
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रचनाकार | राहुल शिवाय |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 2024 |
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विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- आँधियों के ज़ोर पर सूरज बुझाने के लिए / राहुल शिवाय
- वो तो हम सब को ही आपस में लड़ा देता है / राहुल शिवाय
- घुप अँधेरा है मगर तू रोशनी को ढूँढ ले / राहुल शिवाय
- रंग चाहे जो भी हों किरदारों की दस्तार में / राहुल शिवाय
- नये अहसास के मंज़र, जवां ख़्वाबों का गुलदस्ता / राहुल शिवाय
- अँधेरी रात का मातम है इन उजालों में / राहुल शिवाय
- मेमनों के जो बड़े नाख़ून करना चाहते हैं / राहुल शिवाय
- वो सामने थी मेरे खेलती नदी की तरह / राहुल शिवाय
- झूठ की हो न जाए फ़तह आज फिर / राहुल शिवाय
- सूरज के पाँवों में मुझे छाला नहीं मिला / राहुल शिवाय
- मैं तुम्हारी महफ़िलों में बस, हवा बनकर रहा / राहुल शिवाय
- वो अपने ज़िन्दगी भर की कमाई दे रहा है / राहुल शिवाय
- नये चेहरे यहाँ ऐसे भी निर्मित हो रहे हैं / राहुल शिवाय
- जब कभी प्रतिरोध में जंगल खड़े हो जाएँगे / राहुल शिवाय
- प्रगति की राह में अब भी अगर जंगल नहीं होगा / राहुल शिवाय
- उस दिवस अवतार के क़िस्से घटित हो जाएँगे / राहुल शिवाय
- हक़ीक़त देखकर, मन की अक़ीदत काँप जाती है / राहुल शिवाय
- लग रहा ईमान की बातों में हमको डर / राहुल शिवाय
- रहेगा कैसे भला अब उजास बस्ती में / राहुल शिवाय