भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ / प्रदीप" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
लेखक: [[प्रदीप]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:प्रदीप]]
+
|रचनाकार = प्रदीप
 +
}}
 +
{{KKCatGeet}}
 +
आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की<br>
 +
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की<br>
 +
वंदे मातरम ...<br> <br>
  
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है<br>
 +
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है<br>
 +
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है<br>
 +
बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है<br>
 +
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,<br>
 +
इस मिट्टी से ...<br> <br>
  
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की</br>
+
ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे<br>
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की</br>
+
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे<br>
वंदे मातरम ...</br>  
+
ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे<br>
 +
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्‍मिनियाँ अंगारों पे<br>
 +
बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की<br>
 +
इस मिट्टी से ...<br> <br>
  
उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है</br>
+
देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था<br>
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है</br>
+
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था<br>
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है</br>
+
हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था<br>
बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है</br>
+
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था<br>
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,</br>
+
यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की<br>
इस मिट्टी से ...</br>  
+
इस मिट्टी से ...<br> <br>
  
ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे</br>
+
जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ<br>
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे</br>
+
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ<br>
ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे</br>
+
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ<br>
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्‍मिनियाँ अंगारों पे</br>
+
मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ<br>
बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की</br>
+
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की<br>
इस मिट्टी से ...</br>  
+
इस मिट्टी से ...<br> <br>
  
देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था</br>
+
ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है<br>
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था</br>
+
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है<br>
हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था</br>
+
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है<br>
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था</br>
+
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है<br>
यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की</br>
+
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की<br>
इस मिट्टी से ...</br>
+
इस मिट्टी से ...<br><br>
 
+
जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ</br>
+
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ</br>
+
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ</br>
+
मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ</br>
+
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की</br>
+
इस मिट्टी से ...</br>
+
 
+
ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है</br>
+
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है</br>
+
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है</br>
+
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है</br>
+
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की</br>
+
इस मिट्टी से ...</br>
+

10:42, 14 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण

आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम ...

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है
बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,
इस मिट्टी से ...

ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे
ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्‍मिनियाँ अंगारों पे
बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की
इस मिट्टी से ...

देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था
हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था
यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिट्टी से ...

जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ
मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मिट्टी से ...

ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से ...