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"जड़ें / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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− | वही सर्वाधिक प्यार से भरा है। | + |
11:29, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
जड़ें कितनी गहरीं हैं
आँकोगी कैसे ?
फूल से ?
फल से?
छाया से?
उसका पता तो इसी से चलेगा
आकाश की कितनी
ऊँचाई हमने नापी है,
धरती पर कितनी दूर तक
बाँहें पसारी हैं।
जलहीन,सूखी,पथरीली,
ज़मीन पर खड़ा रहकर भी
जो हरा है
उसी की जड़ें गहरी हैं
वही सर्वाधिक प्यार से भरा है।