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"ओस / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

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सुबह घास पर दिखे घनी
 
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रत्न-राशि की कनी
 
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नीलम-रूप झलकाए
 
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हरित-मणि-सी छाए
 
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कभी जले याकूत-सी
 
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स्फटिक शुचि शरमाए
 
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करे धरती का शृंगार
 
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लगे मोहक सुभग तुषार
 
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पल्लव-पल्लव छाए
 
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बीज को अँखुआए
 
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बने वह स्वाति-मुक्ता
 
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चातक प्यास बुझाए
 
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दुनिया में जीवन रचती
 
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इसके बिना न घूमे धरती
 
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21:58, 7 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  ओस

सुबह घास पर दिखे घनी
रत्न-राशि की कनी

नीलम-रूप झलकाए
हरित-मणि-सी छाए
कभी जले याकूत-सी
स्फटिक शुचि शरमाए

करे धरती का शृंगार
लगे मोहक सुभग तुषार

पल्लव-पल्लव छाए
बीज को अँखुआए
बने वह स्वाति-मुक्ता
चातक प्यास बुझाए

दुनिया में जीवन रचती
इसके बिना न घूमे धरती