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[[Category:स्पानी भाषा]]
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अरे, मैं कभी वापस नहीं गया
कचोट भी कोई नहीं है अब
:वापस न जाने की ।
और बन्दरगाह को चूमती लहर
उसके जलमार्ग
नमक और जोंक की तरह
मैंने इस ख़ुदमुख़्तार ने
तट के इस टहलुआ ने
:सौंप दिया ख़ुद को ।
ज़ंजीर बांध दी अपने आश्रय से ।
अब कोई आज़ादी नहीं हमारे लिए--
हम जो रहस्य के अंश-मात्र हैं,
कोई रास्ता नहीं बचा
:खुदी तक ::खुदी की चट्टान तक लौटने का ।
कोई सितारा बाक़ी नहीं बचा
:सागर के सिवा ।</poem>