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"किसी पवित्र इच्छा की घड़ी में / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

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व्यक्ति को  
 
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विकार की ही तरह पढ़ना  
 
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जीवन का अशुद्ध पाठ है।
 
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वह एक नाज़ुक स्पन्द है  
 
वह एक नाज़ुक स्पन्द है  
 
 
समाज की नसों में बन्द  
 
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जिसे हम किसी अच्छे विचार  
 
जिसे हम किसी अच्छे विचार  
 
 
या पवित्र इच्छा की घड़ी में भी  
 
या पवित्र इच्छा की घड़ी में भी  
 
 
पढ़ सकते हैं ।
 
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समाज के लक्षणों को  
 
समाज के लक्षणों को  
 
 
पहचानने की एक लय  
 
पहचानने की एक लय  
 
 
व्यक्ति भी है,  
 
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अवमूल्यित नहीं
 
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पूरा तरह सम्मानित
 
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उसकी स्वयंता  
 
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अपने मनुष्य होने के सौभाग्य को  
 
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ईश्वर तक प्रमाणित हुई !
 
ईश्वर तक प्रमाणित हुई !
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02:07, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

व्यक्ति को
विकार की ही तरह पढ़ना
जीवन का अशुद्ध पाठ है।

वह एक नाज़ुक स्पन्द है
समाज की नसों में बन्द
जिसे हम किसी अच्छे विचार
या पवित्र इच्छा की घड़ी में भी
पढ़ सकते हैं ।

समाज के लक्षणों को
पहचानने की एक लय
व्यक्ति भी है,
अवमूल्यित नहीं
पूरा तरह सम्मानित
उसकी स्वयंता
अपने मनुष्य होने के सौभाग्य को
ईश्वर तक प्रमाणित हुई !