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"हरैं-हरैं ज्ञान के गुमान घटि जानि लगे / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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हरैं-हरैं ज्ञान के गुमान घटि जानि लगे, | हरैं-हरैं ज्ञान के गुमान घटि जानि लगे, | ||
− | जोग के विधान ध्यान हूँ तैं टरिबै लगे । | + | ::जोग के विधान ध्यान हूँ तैं टरिबै लगे । |
नैननि मैं नीर सकल शरीर छयौ, | नैननि मैं नीर सकल शरीर छयौ, | ||
− | प्रेम-अदभुत-सुख सूक्ति परिबै लगे ॥ | + | ::प्रेम-अदभुत-सुख सूक्ति परिबै लगे ॥ |
गोकुल के गाँव की गली में पग पारत ही, | गोकुल के गाँव की गली में पग पारत ही, | ||
− | भूमि कैं प्रभाव भाव औरै भरिबै लगे । | + | ::भूमि कैं प्रभाव भाव औरै भरिबै लगे । |
ज्ञान मारतंड के सुखाये मनु मानस कौं, | ज्ञान मारतंड के सुखाये मनु मानस कौं, | ||
− | सरस सुहाये घनश्याम करिबै लगे ॥२३॥ | + | ::सरस सुहाये घनश्याम करिबै लगे ॥२३॥ |
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09:29, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
हरैं-हरैं ज्ञान के गुमान घटि जानि लगे,
जोग के विधान ध्यान हूँ तैं टरिबै लगे ।
नैननि मैं नीर सकल शरीर छयौ,
प्रेम-अदभुत-सुख सूक्ति परिबै लगे ॥
गोकुल के गाँव की गली में पग पारत ही,
भूमि कैं प्रभाव भाव औरै भरिबै लगे ।
ज्ञान मारतंड के सुखाये मनु मानस कौं,
सरस सुहाये घनश्याम करिबै लगे ॥२३॥