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"चलत न चारयौ भाँति कोटिनि बिचारयौ तऊ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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चलत न चारयौ भाँति कोटिनि बिचारयौ तऊ, | चलत न चारयौ भाँति कोटिनि बिचारयौ तऊ, | ||
− | दाबि दाबि हारयौ पै न टारयौ टसकत है । | + | ::दाबि दाबि हारयौ पै न टारयौ टसकत है । |
परम गहीली बसुदेव-देवकी की मिली, | परम गहीली बसुदेव-देवकी की मिली, | ||
− | चाह-चिमटी हूँ सौं न खैंचौं खसकत है ॥ | + | ::चाह-चिमटी हूँ सौं न खैंचौं खसकत है ॥ |
कढ़त न काढ़्यौ हाय बिथके उपाय सबै, | कढ़त न काढ़्यौ हाय बिथके उपाय सबै, | ||
− | धीर-आक-छीर हूँ न धारैं धसकत है । | + | ::धीर-आक-छीर हूँ न धारैं धसकत है । |
ऊधौ ब्रज-बास के बिलासनि कौ ध्यान धँस्यौ, | ऊधौ ब्रज-बास के बिलासनि कौ ध्यान धँस्यौ, | ||
− | निसि-दिन काटैं लौं करेजें कसकत है ॥6॥ | + | ::निसि-दिन काटैं लौं करेजें कसकत है ॥6॥ |
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09:37, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
चलत न चारयौ भाँति कोटिनि बिचारयौ तऊ,
दाबि दाबि हारयौ पै न टारयौ टसकत है ।
परम गहीली बसुदेव-देवकी की मिली,
चाह-चिमटी हूँ सौं न खैंचौं खसकत है ॥
कढ़त न काढ़्यौ हाय बिथके उपाय सबै,
धीर-आक-छीर हूँ न धारैं धसकत है ।
ऊधौ ब्रज-बास के बिलासनि कौ ध्यान धँस्यौ,
निसि-दिन काटैं लौं करेजें कसकत है ॥6॥