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"छपनिया काल रे छपनिया काल / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

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''मुझे इस गीत की कुछ ही पंक्तियाँ स्मरण हैं जो इस प्रकार हैं ;''
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ओ म्हारो छप्पन्हियो काल्ड  
 
ओ म्हारो छप्पन्हियो काल्ड  
 
फेरो मत अज भोल्डी दुनियाँ में.
 
फेरो मत अज भोल्डी दुनियाँ में.
  
 
बाजरे री रोटी गंवार की फल्डी
 
बाजरे री रोटी गंवार की फल्डी
मिल जाये तो बात है घणी   
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मिल जाये तो वह ही भली 
  
म्हारो छपप्नीयो काल्ड  
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म्हारो छप्पन्हियो काल्ड  
फेरो अज भोल्डी दुनियाँ में.
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फेरो मत अज भोल्डी दुनियाँ में.
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</poem>

07:19, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ओ म्हारो छप्पन्हियो काल्ड
फेरो मत अज भोल्डी दुनियाँ में.

बाजरे री रोटी गंवार की फल्डी
मिल जाये तो वह ही भली

म्हारो छप्पन्हियो काल्ड
फेरो मत अज भोल्डी दुनियाँ में.