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"छपनिया काल रे छपनिया काल / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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म्हारो छप्पन्हियो काल्ड | म्हारो छप्पन्हियो काल्ड | ||
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07:19, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
ओ म्हारो छप्पन्हियो काल्ड
फेरो मत अज भोल्डी दुनियाँ में.
बाजरे री रोटी गंवार की फल्डी
मिल जाये तो वह ही भली
म्हारो छप्पन्हियो काल्ड
फेरो मत अज भोल्डी दुनियाँ में.