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"आम रसीले / मन्नन द्विवेदी गजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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पके-पके क्या आम रसीले, हरे-लाल हैं नीले-पीले।
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पके-पके क्या आम रसीले,
आँधी अगर कभी आ जाती, आम हज़ारों पीट गिराती।
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हरे-लाल हैं नीले-पीले!
इनको लेकर चलो ताल पर, वहाँ खूब पानी से धोकर।
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सौ-पचास तक खाएँगे हम, आज न भोजन पाएँगे हम।
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'''’सरस्वती’ पत्रिका के हीरक जयंती विशेषांक में प्रकाशित '''
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आँधी अगर कभी आ जाती,
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आम हजारों पीट गिराती!
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इनको लेकर चलो ताल पर,
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वहाँ खूब पानी से धोकर!
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सौ-पचास तक खाएँगे हम,
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आज न भोजन पाएँगे हम!
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12:33, 10 जुलाई 2015 के समय का अवतरण

पके-पके क्या आम रसीले,
हरे-लाल हैं नीले-पीले!

आँधी अगर कभी आ जाती,
आम हजारों पीट गिराती!

इनको लेकर चलो ताल पर,
वहाँ खूब पानी से धोकर!

सौ-पचास तक खाएँगे हम,
आज न भोजन पाएँगे हम!


’सरस्वती’ पत्रिका के हीरक जयंती विशेषांक में प्रकाशित