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"वो दिल नवाज़ है नज़र शनास नहीं / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

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तड़प रहे हैं ज़बाँ पर कई सवाल मगर
मेरा इलाज मेरे चारागर के पास नहीं<br><br>
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तेरे उजालों में भी दिल काँप-काँप उठता है
मेरे लिये कोई शयान-ए-इल्तमास नहीं <br><br>
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मेरे मिज़ाज को आसूदगी भी रास नहीं  
  
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कभी-कभी जो तेरे क़ुर्ब में गुज़ारे थे
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अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं
  
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गुज़र रहे हैं अजब मर्हलों से दीदा-ओ-दिल
अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं <br><br>
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सहर की आस तो है ज़िन्दगी की आस नहीं  
  
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बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नहीं  
 
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बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नहीं <br><br>
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09:27, 3 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

वो दिल नवाज़ है लेकिन नज़र-शनास नहीं
मेरा इलाज मेरे चारागर के पास नहीं

तड़प रहे हैं ज़बाँ पर कई सवाल मगर
मेरे लिये कोई शयान-ए-इल्तमास नहीं

तेरे उजालों में भी दिल काँप-काँप उठता है
मेरे मिज़ाज को आसूदगी भी रास नहीं

कभी-कभी जो तेरे क़ुर्ब में गुज़ारे थे
अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं

गुज़र रहे हैं अजब मर्हलों से दीदा-ओ-दिल
सहर की आस तो है ज़िन्दगी की आस नहीं

मुझे ये डर है तेरी आरज़ू न मिट जाये
बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नहीं