भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"थार-2 /मीठेश निर्मोही" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem>धरती-आभै जितरी लंठी थारी कद-काठी । बावळ सरीसौ थारो सांस । समदर …)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>धरती-आभै
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार= मीठेश निर्मोही
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 +
धरती-आभै
 
जितरी लंठी
 
जितरी लंठी
 
थारी
 
थारी
कद-काठी ।
+
कद-काठी।
  
 
बावळ सरीसौ
 
बावळ सरीसौ
 
थारो
 
थारो
सांस ।
+
सांस।
  
 
समदर रै उनमांन
 
समदर रै उनमांन
पसराव ।
+
पसराव।
 
नीं थाकै
 
नीं थाकै
 
नीम हारै
 
नीम हारै
थूं ।
+
थूं।
  
 
वाह रे
 
वाह रे
थळवट रा उमराव ।
+
थळवट रा उमराव।
 
</poem>
 
</poem>

11:02, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

धरती-आभै
जितरी लंठी
थारी
कद-काठी।

बावळ सरीसौ
थारो
सांस।

समदर रै उनमांन
पसराव।
नीं थाकै
नीम हारै
थूं।

वाह रे
थळवट रा उमराव।