भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शिक्षा-पद्धति / काका हाथरसी

213 bytes added, 06:40, 18 सितम्बर 2014
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=काका हाथरसी|अनुवादक=|संग्रह=काका के व्यंग्य बाण / काका हाथरसी}}{{KKCatKavita}}<poem>बाबू सर्विस ढूँढते, थक गए करके खोज  अपढ श्रमिक को मिल रहे चालीस रुपये रोज़ ॥ चालीस रुपये रोज़, इल्म को कूट रहे हैं ।  ग्रेजुएट जी रेल और बस लूट रहे हैं ॥ पकड़े जाँए तो शासन को देते गाली ।  देख लाजिए शिक्षा-पद्धति की खुशहाली ॥खुशहाली॥</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,103
edits