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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=मनोज भावुक |संग्रह=}}{{KKCatGhazal}}[[Category:भोजपुरी भाषा]]<poem>
देखलीं जे बइठि के दरिया किनारे
डूबके देखला प लागल भिन्न, यारे
ख्वाब में भी हम कबो सोचले ना होखब
वक्त ले जाई कबो ओहू दुआरे
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