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"बिरथा जळम गंवायौ / प्रमोद कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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आखर हो | आखर हो | ||
भाखर बण‘र रहग्यौ ! | भाखर बण‘र रहग्यौ ! |
13:32, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
आखर हो
भाखर बण‘र रहग्यौ !
जे कर होंतो संत कोई
नित रा बाग सजांतौ
जे कर होंतो परन्तं कोई
गीता नै अरथान्तौ !
जळम्यौ माटी ढोण
म्है झालर बण‘र रहग्यौ !
हो धरम रौ बीज
धरम नै पायौ नीं म्है
रह ग्यौ बंजर भौम
करम निपजायौ नीं म्है !
भूतां रै गांवां रो
ठाकर बण‘र रहग्यौ !
आखर हो .....
भाखर बणं‘र रहग्यौ !