भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कविता खोले किवाड़ / राजेश कुमार व्यास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश कुमार व्यास |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>अंधारै मां…)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>अंधारै मांय
+
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 +
अंधारै मांय
 
हाका करती  
 
हाका करती  
 
धमकावती आवै पून
 
धमकावती आवै पून

11:51, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

अंधारै मांय
हाका करती
धमकावती आवै पून
चमके बैरण बीजळी
अर
धोरा उडावती
उपड़े है आंधी
बिण बादळ
बरसै मेह
उंडी आस
हियै री अकड़ सूं चालै सांस
साचाणी
अबखौ है मारग
म्हूं
धमीड़ा खावूं...
सिरजूं आखै जग री पीड़
कविता
खोले
आस रा किवाड़
अबखै बगत।