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"भोपालःशोकगीत 1984 - हवा / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर

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'''हवा'''<br><br>
 
 
हवा को डस लिया है <br>
 
हवा को डस लिया है <br>
 
किसी करात ने<br>
 
किसी करात ने<br>

23:39, 3 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण

हवा को डस लिया है
किसी करात ने
या कौड़िया साँप ने।

लहर मारता है ज़हर
थरथराता है रह रह कर
हवा का बदन।

भागो भागो भागो
जहाँ भी खुला हो
थोड़ा सा आकाश
जहाँ भी बची हो
थोड़ी सी हवा पवित्र
भागो भागो भागो
चीखता है
सारा शहर

हमारी हवा को डस लिया है
किसी करात ने
किसी कौड़िया साँप ने !