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"रजनीगंधा / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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अनदिख टहनियाँ
 
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रजनीगंधा की
 
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हवा में
 
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फैली हैं
 
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साँसों में मेरी
 
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लहराती हैं
 
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चेतना को छेड़ कर
 
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जीवन का वेग  
 
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बन जाती हैं
 
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इन के उलहने की गति
 
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जान पाता हूँ
 
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रात रोक नहीं पाती
 
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05:01, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

अनदिख टहनियाँ
रजनीगंधा की
हवा में
फैली हैं

साँसों में मेरी
लहराती हैं
चेतना को छेड़ कर
सिराओं में
जीवन का वेग
बन जाती हैं

इन के उलहने की गति
जान पाता हूँ
केवल परस से
रात रोक नहीं पाती