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किष्किन्धाकाण्ड   
 
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'''सीताजी के खोज का आदेश'''   
 
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प्रभु कपि नायक बोलि कह्यो
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(राग केदारा)
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प्रभु कपि- नायक बोलि कह्यो है।
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बरषा गई, सरद आई ,अब लगि नहि सिय-सोधु लह्यो है।1।
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जा कारन तजि लोकलाज ,तनु राखि बियोग सह्यो है।
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ताको तौ कपिराज आज लगि कछु न काज  निबह्यो है।2।
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सुनि सुग्रीव सभीत नमित-मुख, उतरू न देन चह्यो है।
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आइ गए हरि जूथ देखि उर पूरि प्रमोद रह्यो है।3।
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पठये बदि-बदि अवधि दसहु दिसि, चले बलु सबनि गह्यो है।
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तुलसी सिय लगि भव-दधिनिधि मनु फिरि हरि चहत मह्यो है।4।
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किष्किंधा काण्ड समाप्त
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17:16, 29 मई 2011 के समय का अवतरण

किष्किन्धाकाण्ड
सीताजी के खोज का आदेश
(राग केदारा)

प्रभु कपि- नायक बोलि कह्यो है।
बरषा गई, सरद आई ,अब लगि नहि सिय-सोधु लह्यो है।1।

जा कारन तजि लोकलाज ,तनु राखि बियोग सह्यो है।
ताको तौ कपिराज आज लगि कछु न काज निबह्यो है।2।

सुनि सुग्रीव सभीत नमित-मुख, उतरू न देन चह्यो है।
आइ गए हरि जूथ देखि उर पूरि प्रमोद रह्यो है।3।

 पठये बदि-बदि अवधि दसहु दिसि, चले बलु सबनि गह्यो है।
तुलसी सिय लगि भव-दधिनिधि मनु फिरि हरि चहत मह्यो है।4।
 किष्किंधा काण्ड समाप्त