भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ख़ुशबीर सिंह 'शाद'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|नाम=ख़ुशबीर सिंह 'शाद' | |नाम=ख़ुशबीर सिंह 'शाद' | ||
|उपनाम= | |उपनाम= | ||
− | |जन्म=1954 | + | |जन्म=04 सितम्बर 1954 |
− | |जन्मस्थान=सीतापुर | + | |जन्मस्थान=सीतापुर, उत्तर प्रदेश |
|मृत्यु= | |मृत्यु= | ||
− | |कृतियाँ= | + | |कृतियाँ=जाने कब मौसम बदले (1992), गीली मिट्टी (1998), चलो कुछ रंग ही बिखरे (2000), ज़रा ये धूप ढल जाए (2005), बेख़्वाबियाँ (2007), जहाँ तक ज़िन्दगी है (2009), बिखरने से ज़रा पहले (2011) |
|विविध= | |विविध= | ||
|सम्पर्क= | |सम्पर्क= | ||
− | |अंग्रेज़ीनाम= | + | |अंग्रेज़ीनाम=Khushbir Singh Shaad |
|जीवनी=[[ख़ुशबीर सिंह 'शाद' / परिचय]] | |जीवनी=[[ख़ुशबीर सिंह 'शाद' / परिचय]] | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatUttarPradesh}} | ||
{{KKShayar}} | {{KKShayar}} | ||
+ | ====ग़ज़लें==== | ||
* [[अब अँधेरों में जो हम ख़ौफ़-ज़दा बैठे हैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']] | * [[अब अँधेरों में जो हम ख़ौफ़-ज़दा बैठे हैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']] | ||
* [[बुझा के मुझ में मुझे बे-कराँ बनाता है / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']] | * [[बुझा के मुझ में मुझे बे-कराँ बनाता है / ख़ुशबीर सिंह 'शाद']] |
00:33, 16 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
जन्म | 04 सितम्बर 1954 |
---|---|
जन्म स्थान | सीतापुर, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
जाने कब मौसम बदले (1992), गीली मिट्टी (1998), चलो कुछ रंग ही बिखरे (2000), ज़रा ये धूप ढल जाए (2005), बेख़्वाबियाँ (2007), जहाँ तक ज़िन्दगी है (2009), बिखरने से ज़रा पहले (2011) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
ख़ुशबीर सिंह 'शाद' / परिचय |
ग़ज़लें
- अब अँधेरों में जो हम ख़ौफ़-ज़दा बैठे हैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- बुझा के मुझ में मुझे बे-कराँ बनाता है / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- चश्म-ए-हैरत सारे मंज़र एक जैसे हो गए / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- एक तो क़यामत है इस मकाँ की तन्हाई / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- हवा के पर कतरना अब ज़रूरी हो गया है / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- इस इंतिशार का कोई असर भी है के नहीं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- जो शब को मंज़र-ए-शब ताब में तब्दील करते हैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- कोई नहीं था मेरे मुक़ाबिल भी मैं ही था / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- मैं अपने रू-ब-रू हूँ और कुछ हैरत-ज़दा हूँ मैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- नई मुश्किल कोई दर-पेश हर मुश्किल से आगे है / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- परिंदे बे-ख़बर थे सब पनाहें कट चुकी हैं / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- रफ़्ता रफ़्ता मंज़र-ए-शब ताब भी आ जाएँ / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- रगों में ज़हर-ए-ख़ामोशी उतरने से ज़रा पहले / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- सदा-ए-दिल न कहीं धड़कनों में गुम हो जाए / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'
- शाम तक फिर रंग ख़्वाबों का बिखर जाएगा क्या / ख़ुशबीर सिंह 'शाद'