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"सूतल मैं रहलौं सखियाँ / धरमदास" के अवतरणों में अंतर
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04:22, 21 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
सूतल मैं रहलौं सखियाँ विष कर आगर हो
सतगुरु दिहलै जगाई पाचौं सुख सागर हौ।। 1।।
जब रहली जननी के ओदर, परन सम्हारल हो
जब लौ तन में प्रान, न तोहि बिसराइब हो ।। 2।।
एक बुन्द से साहेब मन्दिल, बनावल हो
बिना नेंव के मन्दिल, बहु कल लागल हो ।। 3।।
इहवाँ गाँव न ठाँव नहीं पुर पाटन हो
नाहिन बाट बटोही नहीं हित आपन हो ।। 4।।