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"कच्चे फल / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर

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हो गया ब्याह लग गईं जोंकें।
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फूल से गाल पर पड़ी झाईं।
 
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सूखती जा रहीं नसें सब हैं।
 
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भीनने भी मसें नहीं पाईं।
 
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पड़ गया किस लिए खटाई में।
 
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क्यों चढ़ी रूप रंग की बाई।
 
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फिर गई काम की दुहाई क्यों।
 
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मूँछ भी तो अभी नहीं आई।
 
मूँछ भी तो अभी नहीं आई।
 
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19:56, 23 मार्च 2014 के समय का अवतरण

हो गया ब्याह लग गईं जोंकें।
फूल से गाल पर पड़ी झाईं।
सूखती जा रहीं नसें सब हैं।
भीनने भी मसें नहीं पाईं।

पड़ गया किस लिए खटाई में।
क्यों चढ़ी रूप रंग की बाई।
फिर गई काम की दुहाई क्यों।
मूँछ भी तो अभी नहीं आई।