भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चाँद के टीले पर / मार्गस लैटिक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मार्गस लैटिक |अनुवादक=गौतम वसिष्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
 
जरूरी है की अपना दिल
 
जरूरी है की अपना दिल
 
भी वो साथ में ले ले
 
भी वो साथ में ले ले
 +
 +
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : गौतम वसिष्ठ'''
 
</poem>
 
</poem>

03:17, 7 मई 2019 के समय का अवतरण

चाँद के टीले पर
और अखरोटों की फुनगियों पर...
गिरते हैं तारे...
और गुदते हैं संदेशे...
ठंड के सलवटों पे

देखो...
खुले हैं तुम्हारे हाथ
जीवन के गुजरते
लम्हों को रंगते...
और निर्धारित राहों के
मुड़े हुए कदम को !

जवानी को पहाड़...
रवानी को नदियाँ
और
हौसले को चीटियाँ...

जिसे भी हो चाहत
लेकर दुनिया चलने की
जरूरी है की अपना दिल
भी वो साथ में ले ले

अँग्रेज़ी से अनुवाद : गौतम वसिष्ठ