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"उलझन / श्रीनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

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कोई मुझको बेटा कहता ,
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  कोई कहता बच्चा  ।
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  कोई कहता बच्चा।
कोई मुझको मुन्नू कहता ,
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कोई मुझको मुन्नू कहता,
   कोई कहता चच्चा  ।
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   कोई कहता चच्चा।
 
  कोई कहता लकड़ा ! मकड़ा!
 
  कोई कहता लकड़ा ! मकड़ा!
  कोई   कहता   लौआ  ।
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  कोई कहता लौआ।
   कोई मुझको चूम प्यार से ,
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   कोई मुझको चूम प्यार से,
कहता मेरे लौआ ।
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कहता मेरे लौआ।
   कल आकर इक औरत बोली ,
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   कल आकर इक औरत बोली,
   तू है मेरा गहना  ।
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   तू है मेरा गहना।
  रोटी अगर समझती वह तो ,
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  रोटी अगर समझती वह तो,
   मुश्किल होता रहना  ।
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   मुश्किल होता रहना।
  सब सहता हूँ पर बढ़ता है ,
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  सब सहता हूँ पर बढ़ता है,
   दुःख अन्दर ही अन्दर ।
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   दुःख अन्दर ही अन्दर।
   गालों पर जब चूम चूम ,
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   गालों पर जब चूम चूम,
   माँ कहती - मेरे बन्दर ।
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   माँ कहती - मेरे बन्दर।
 
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17:39, 3 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

  कोई मुझको बेटा कहता,
 कोई कहता बच्चा।
कोई मुझको मुन्नू कहता,
  कोई कहता चच्चा।
 कोई कहता लकड़ा ! मकड़ा!
 कोई कहता लौआ।
  कोई मुझको चूम प्यार से,
कहता मेरे लौआ।
  कल आकर इक औरत बोली,
   तू है मेरा गहना।
 रोटी अगर समझती वह तो,
  मुश्किल होता रहना।
 सब सहता हूँ पर बढ़ता है,
  दुःख अन्दर ही अन्दर।
   गालों पर जब चूम चूम,
   माँ कहती - मेरे बन्दर।