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"चराग़े-दिल / देवी नांगरानी" के अवतरणों में अंतर
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18:52, 18 जून 2008 का अवतरण
चराग़े-दिल
रचनाकार | देवी नांगरानी |
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भाषा | हिन्दी |
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विविध |
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- कितने पिये है दर्द के / देवी नांगरानी
- दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था / देवी नांगरानी
- देखकर मौसमों का असर रो दिए / देवी नांगरानी
- सर पटकते हैं आशियानों में / देवी नांगरानी
- आंधियों के भी पर कतरते हैं / देवी नांगरानी
- ताज़गी कुछ नही हवाओं में / देवी नांगरानी
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं / देवी नांगरानी
- डर उसे फिर न रात का होगा / देवी नांगरानी
- उड़ गए बालो-पर उड़ानों में / देवी नांगरानी