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"देवेन्द्र आर्य" के अवतरणों में अंतर

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देवेन्द्र आर्य की कुछ ताज़ा ग़ज़लें
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{{KKGlobal}}
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== त्रिलोचन की रचनाएँ==
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{{KKParichay
ग़ज़ल 1
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|चित्र=Trilochan.jpg
--.--
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|नाम=देवेन्द्र आर्य
यह भी हो सकता है अच्छा हो, मगर धोखा हो
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|उपनाम=
क्या पता गर्भ में पलता हुआ कल कैसा हो
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|जीवनी=[[देवेन्द्र आर्य / परिचय]]
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}}
  
भाप उड़ती हुई चीज़ें ही बिकेंगी अब तो
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* [[यह भी हो सकता है / देवेन्द्र आर्य]]
शब्द हो, रेह हो, सपना हो या समझौता हो
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* [[मेरी भी आँख में गड़ता है भाई / देवेन्द्र आर्य]]
 
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* [[आयो घोष बड़ो व्यापारी / देवेन्द्र आर्य]]
यूँ तो हर मोड़ पे मिल जाता है मुझसे लेकिन
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* [[किसी को सर चढ़ाया जा रहा है / देवेन्द्र आर्य]]
इस तरह मिलता है जैसे कि कभी देखा हो
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* [[ / देवेन्द्र आर्य]]
 
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* [[ / देवेन्द्र आर्य]]
जाने कितनों ने लिखी अपनी कहानी इस पर
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* [[ / देवेन्द्र आर्य]]
फिर भी लगता है मेरे दिल का वरक सादा हो
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* [[ / देवेन्द्र आर्य]]
 
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* [[ / देवेन्द्र आर्य]]
रौशनी इतनी ज़ियादा भी नहीं ठीक मियाँ
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* [[ / देवेन्द्र आर्य]]
ये भी हो सकता है आँखों में कोई सपना हो
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* [[ / देवेन्द्र आर्य]]
 
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**--**
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ग़ज़ल 2
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मेरी भी आँख में गड़ता है भाई
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मगर रिश्तों में वो पड़ता है भाई
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जमाने की नहीं परवाह लेकिन
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वही आरोप जब मढ़ता है भाई
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खरी खोटी सुनाके लड़के मुझसे
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फिर अपने आप से लड़ता है भाई
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जिसे मैं भूल जाना चाहता हूँ
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बराबर याद क्यों पड़ता है भाई
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भले कितना ही सुन्दर हो, सफल हो
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मगर सपना भी तो सड़ता है भाई
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मुझे लगता है मैं ही बढ़ रहा हूँ
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मेरे बदले में जब बढ़ता है भाई
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जिसे तुम शान से कहते हो ग़ैर
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वो अव्वल किस्म की जड़ता है भाई
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ये मामूली सा दिखता भाई चारा
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बहुत मंहगा कभी पड़ता है भाई
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**-**
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ग़ज़ल 3
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--.--
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आयो घोष बड़ो व्यापारी
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पोछ ले गयो नींद हमारी
+
 
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कभी जमूरा कभी मदारी
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इसको कहते हैं व्यापारी
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रंग गई मन की अंगिया-चूनर
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देह ने जब मारी पिचकारी
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अपना उल्लू सीधा हो बस
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कैसा रिश्ता कैसी यारी
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आप नशे पर न्यौछावर हो
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मैं अब जाऊँ किस पर वारी
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बिकते बिकते बिकते बिकते
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रुह हो गई है सरकारी
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अब जब टूट गई ज़ंजीरें
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क्या तुम जीते क्या मैं हारी
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भूख हिकारत और गरीबी
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किसको कहते हैं खुद्दारी?
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दुनिया की सुंदरतम् कविता
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सोंधी रोटी, दाल बघारी
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ग़ज़ल 4
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--.--
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किसी को सर चढ़ाया जा रहा है
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कोई रक्तन रुलाया जा रहा है
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ये आँखें आधुनिक दिखने लगेंगी
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नया सपना मंगाया जा रहा है
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जो पहले से खड़ा है हाशिए पर
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वही बाँए दबाया जा रहा है
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कथाओं में नहीं अंट पा रहा जो
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उसे कविता में लाया जा रहा है
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बुजुर्गों ने जिसे पोसा है अब तक
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वो रिश्ता अब भुनाया जा रहा है
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हमारे बीच में जो अनकहा था
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वो शब्दों से मिटाया जा रहा है
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मैं कुर्बानी का बकरा तो नहीं हूँ?
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बड़ी इज्जत से लाया जा रहा है
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**-**
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- रचनाकार – देवेन्द्र आर्य की पहचान उनकी नए तेवर, नए अंदाज़ की ग़ज़लें हैं. रचनाकार में देवेन्द्र की कुछ अन्य विप्लवी किस्म की गज़लें आप यहां -
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http://rachanakar.blogspot.com/2005/09/blog-post_06.html , यहाँ - http://rachanakar.blogspot.com/2005/08/blog-post_16.html तथा यहाँ - http://rachanakar.blogspot.com/2005/08/blog-post_20.html पर पढ़ सकते हैं.
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17:48, 25 मार्च 2008 का अवतरण

त्रिलोचन की रचनाएँ

देवेन्द्र आर्य
Trilochan.jpg
जन्म
निधन
उपनाम
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
--
विविध
जीवन परिचय
देवेन्द्र आर्य / परिचय
कविता कोश पता
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