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अभिलाषाओं के दिवास्वप्न / अंकित काव्यांश
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17:46, 2 अगस्त 2020
अभिलाषाओं के
दिवास्वप्न पलकों पर बोझ हुए जाते
फिर भी जीवन के चौसर पर साँसों की
बाजी
बाज़ी
जारी है।
हारा जीता
जो कुछ
लिख गया कुंडली में वह टाले कभी
नही
नहीं
टलता।
जलता है
अहंकार सबका सोने का नगर
नही
नहीं
जलता।
हम रोज
Abhishek Amber
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