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"फारि फारि खाती हैं / भारतेन्दु मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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09:03, 27 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
फारि फारि खाती हैं
द्याँह अब बरइया
सहरन लँग भाजि रही
गाँव गइ चिरइया।
गिद्ध बड़े ब्याढब हैं
रोजु नये करतब हैं
पखनन लौ का न कोउ
है हियाँ हेरइया।
गलियारे-म धूरि-धूरि
बिरवा सब झूरि-झूरि
दाना पानी लौ अब
है नहीं जुरइया।
बित्तउ भरि छाँह नहीं
मदति केरि बाँह नहीं
हरहन कइ जूठनि मा
पेटु हम भरइया।