भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"किस कदर मजबूर हम तुम / मृदुला झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman ने किस कदर मजबूर हम तुमए / मृदुला झा पृष्ठ किस कदर मजबूर हम तुम / मृदुला झा पर स्थानांतरित...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:35, 4 मई 2019 के समय का अवतरण
हर किसी से दूर हम तुम।
याद है वो पल सुहाना,
जब हुए मशहूर हम तुम।
क्या खता इसमें हमारी,
जो बने नासूर हम तुम।
खुद को दो पल ही मिले जो,
भोग लें भरपूर हम तुम।
कह रहा अब यह जमाना,
हो गए मगरूर हम तुम।