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"सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर

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====इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ====
 
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* [[ग़रीबी के विषय में / रामकुमार कृषक]]
 
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* [[दिन-ब-दिन अब आदमी में शहर बसता जा रहा है ! / रामकुमार कृषक]]
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* [[धरती की छाती पर अन्धकार कल भी था / रामकुमार कृषक]]

19:05, 5 जनवरी 2022 का अवतरण

सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे
Ramkumar Krishak (kavita sangrah).jpg
रचनाकार रामकुमार कृषक
प्रकाशक
वर्ष 1977
भाषा हिन्दी
विषय कविता
विधा नवगीत
पृष्ठ 112
ISBN
विविध
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