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"छुपा है चाँद / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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खाए हैं घाव | खाए हैं घाव | ||
चलो उनको धो लें | चलो उनको धो लें | ||
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गले से लगकर | गले से लगकर | ||
जीभर हम रो लें। | जीभर हम रो लें। | ||
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राह हमारी | राह हमारी | ||
ये रोकेंगे सागर | ये रोकेंगे सागर | ||
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खुशबू बनने को | खुशबू बनने को | ||
फूलों -सा खिलना है । | फूलों -सा खिलना है । | ||
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पास जो बैठे | पास जो बैठे | ||
वे मीलों दूर रहे | वे मीलों दूर रहे | ||
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कोसों दूर हो तुम | कोसों दूर हो तुम | ||
फिर भी पास लगे । | फिर भी पास लगे । | ||
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ईर्ष्या का चक्र | ईर्ष्या का चक्र | ||
सिर पर सवार | सिर पर सवार |
06:32, 17 नवम्बर 2019 के समय का अवतरण
1
खाए हैं घाव
चलो उनको धो लें
दु:ख के पन्ने खोलें
करता है जी
गले से लगकर
जीभर हम रो लें।
2
राह हमारी
ये रोकेंगे सागर
फिर भी मिलना है;
तेरे दिल की
खुशबू बनने को
फूलों -सा खिलना है ।
3
पास जो बैठे
वे मीलों दूर रहे
उनसे क्या शिक़वा !
माना हमसे
कोसों दूर हो तुम
फिर भी पास लगे ।
4
ईर्ष्या का चक्र
सिर पर सवार
बही लोहित धार
कुछ न पाया
बैचैनी सदा मिली
सब कुछ गँवाया ।