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"दुनिया से अलग / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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मैंने बेटियाँ जनी हैं
 
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वो भी पाँच-पाँच
 
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तुम कुछ दंभ से कहा करती थीं
 
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यह जताती हुई कि
 
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कितनी अलग हो दुनिया से
 
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लेकिन आँख बचा के
 
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अपने काल-कवलित बेटों के लिए
 
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रो लेती थीं
 
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यूँ सामान्य-सी बनती कि  
 
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आँख में कुछ गिर गया
 
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तुम अलग थीं
 
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संदेह नहीं, अपनी दुनिया से
 
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पर मैं तुम में बेहद साधारण माँ खोजती रही
 
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18:36, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

मैंने बेटियाँ जनी हैं
वो भी पाँच-पाँच
तुम कुछ दंभ से कहा करती थीं
यह जताती हुई कि
कितनी अलग हो दुनिया से

लेकिन आँख बचा के
अपने काल-कवलित बेटों के लिए
रो लेती थीं
यूँ सामान्य-सी बनती कि
आँख में कुछ गिर गया
तुम अलग थीं
संदेह नहीं, अपनी दुनिया से
पर मैं तुम में बेहद साधारण माँ खोजती रही