भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुदूर भविष्य के बारे में / आलोक श्रीवास्तव-२" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२ }} <poem> शायद किसी दिन मैं फिर आऊ...) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२ | |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२ | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
शायद किसी दिन | शायद किसी दिन | ||
मैं फिर आऊंगा | मैं फिर आऊंगा |
10:49, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
शायद किसी दिन
मैं फिर आऊंगा
शायद किसी दिन
तुम यों ही कहीं मिल जाओगी
बहुत बदल गये चेहरे भी एक दूसरे के
हम पहचान लेंगे
शायद शिनाख़्त न कर पायें
आपसी दुखों की
पर अब से थोड़ा समझदार होंगे
और दे सकेंगे दूसरे को
प्रेम और भरोसा ।