भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ये ज़िन्दगी / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
शायर: [[निदा फ़ाज़ली]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:गज़ल]]
+
|रचनाकार=  निदा फ़ाज़ली
[[Category:निदा फ़ाज़ली]]
+
}}
 
+
[[Category:गज़ल]]ये ज़िन्दगी <br>
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
+
 
+
ये ज़िन्दगी <br>
+
 
आज जो तुम्हारे <br>
 
आज जो तुम्हारे <br>
 
बदन की छोटी-बड़ी नसों में <br>
 
बदन की छोटी-बड़ी नसों में <br>

19:13, 24 जून 2009 का अवतरण

ये ज़िन्दगी

आज जो तुम्हारे
बदन की छोटी-बड़ी नसों में
मचल रही है
तुम्हारे पैरों से चल रही है
तुम्हारी आवाज़ में ग़ले से निकल रही है
तुम्हारे लफ़्ज़ों में ढल रही है


ये ज़िन्दगी
जाने कितनी सदियों से
यूँ ही शक्लें
बदल रही है


बदलती शक्लों
बदलते जिस्मों में
चलता-फिरता ये इक शरारा
जो इस घड़ी
नाम है तुम्हारा
इसी से सारी चहल-पहल है
इसी से रोशन है हर नज़ारा


सितारे तोड़ो या घर बसाओ
क़लम उठाओ या सर झुकाओ


तुम्हारी आँखों की रोशनी तक
है खेल सारा


ये खेल होगा नहीं दुबारा
ये खेल होगा नहीं दुबारा