भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दोहा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं)<br><br> | जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं)<br><br> | ||
− | कविता कोश में [ | + | '''कविता कोश में [http://hi.literature.wikia.com/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A3%E0%A5%80:%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A5%87 दोहे]'''<br><br> |
{{KKHindiChhand}} | {{KKHindiChhand}} |
04:52, 29 नवम्बर 2006 का अवतरण
दोहा छन्द के पहले तीसरे चरण में 13 मात्रायें और दूसरे–चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। विषय (पहले तीसरे) चरणों के आरम्भ जगण नहीं होना चाहिये और सम (दूसरे–चौथे) चरणों अन्त में लघु होना चाहिये।
उदाहरण –
मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं)
कविता कोश में दोहे
हिन्दी काव्य छंद |
दोहा . चौपाई . सोरठा . छप्पय . पद . रुबाई . कवित्त . सवैया . रोला . कुण्डली . त्रिवेणी . सॉनेट |
लोक छंद |
काव्य विधाएँ |