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"न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर

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न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात
 
न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात
जाको अध-उरध अधिक मुरझायौ है ।
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::जाको अध-उरध अधिक मुरझायौ है ।
 
कहै रतनाकर उमहि गहि स्याम ताहि
 
कहै रतनाकर उमहि गहि स्याम ताहि
बस-बासना सों नैंकु नासिका लगायो हैं ॥
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::बस-बासना सों नैंकु नासिका लगायो हैं ॥
 
त्यौं हीं कछु घूमि झूमि बेसुध भये कै हाय
 
त्यौं हीं कछु घूमि झूमि बेसुध भये कै हाय
पाय परे उखरि उभाय मुख छायौ है ।
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::पाय परे उखरि उभाय मुख छायौ है ।
 
पाए घरी द्वैक मैं जगाइ ल्याइ ऊधौ तीर
 
पाए घरी द्वैक मैं जगाइ ल्याइ ऊधौ तीर
राधा-नाम कीर जब औचक सुनायौ है ॥1॥
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::राधा-नाम कीर जब औचक सुनायौ है ॥1॥
 
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09:39, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात
जाको अध-उरध अधिक मुरझायौ है ।
कहै रतनाकर उमहि गहि स्याम ताहि
बस-बासना सों नैंकु नासिका लगायो हैं ॥
त्यौं हीं कछु घूमि झूमि बेसुध भये कै हाय
पाय परे उखरि उभाय मुख छायौ है ।
पाए घरी द्वैक मैं जगाइ ल्याइ ऊधौ तीर
राधा-नाम कीर जब औचक सुनायौ है ॥1॥