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"राधा मुख-मंजुल सुधाकर के ध्यान ही सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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राधा मुख-मंजुल सुधाकर के ध्यान ही सौं, | राधा मुख-मंजुल सुधाकर के ध्यान ही सौं, | ||
− | प्रेम रतनाकर हियैं यौं उमगत है । | + | ::प्रेम रतनाकर हियैं यौं उमगत है । |
त्यौं ही बिरहातप प्रचंड सौं उमंडि अति, | त्यौं ही बिरहातप प्रचंड सौं उमंडि अति, | ||
− | उरध उसास कौ झकोर यौं जगत है ॥ | + | ::उरध उसास कौ झकोर यौं जगत है ॥ |
केवट विचार कौ बिचारौं पचि हारि जात, | केवट विचार कौ बिचारौं पचि हारि जात, | ||
− | होत गुन-पाल ततकाल नभ-गत है ॥ | + | ::होत गुन-पाल ततकाल नभ-गत है ॥ |
करत गँभीर धीर लंगर न काज कछू, | करत गँभीर धीर लंगर न काज कछू, | ||
− | मन कौ जहाज डगि डूबन लगत है ॥11॥ | + | ::मन कौ जहाज डगि डूबन लगत है ॥11॥ |
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09:35, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
राधा मुख-मंजुल सुधाकर के ध्यान ही सौं,
प्रेम रतनाकर हियैं यौं उमगत है ।
त्यौं ही बिरहातप प्रचंड सौं उमंडि अति,
उरध उसास कौ झकोर यौं जगत है ॥
केवट विचार कौ बिचारौं पचि हारि जात,
होत गुन-पाल ततकाल नभ-गत है ॥
करत गँभीर धीर लंगर न काज कछू,
मन कौ जहाज डगि डूबन लगत है ॥11॥