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"सपना तुम्हारी आंखों का / रवीन्द्र दास" के अवतरणों में अंतर
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सपना तुम्हारी आंखों का मैं बन पाता ! | सपना तुम्हारी आंखों का मैं बन पाता ! | ||
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हर बार कभी आंधी आई | हर बार कभी आंधी आई | ||
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मैं तेरे ख्वाबों में छुपकर बच पाता हूँ, | मैं तेरे ख्वाबों में छुपकर बच पाता हूँ, | ||
− | + | अचरज न करो, है सच्चाई | |
− | अचरज न करो , है सच्चाई | + | |
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अख़बार नहीं पढ़ पाता हूँ | अख़बार नहीं पढ़ पाता हूँ | ||
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बकबास करे हैं सबके-सब | बकबास करे हैं सबके-सब | ||
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कोई ख़बर न तेरी छपवाता ! | कोई ख़बर न तेरी छपवाता ! | ||
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कोई चश्मा ऐसा होता | कोई चश्मा ऐसा होता | ||
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जिससे मन तेरा पढ़ लेता | जिससे मन तेरा पढ़ लेता | ||
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दुनिया की उलझन भूल कभी | दुनिया की उलझन भूल कभी | ||
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तेरे मन में ख़ुद खो जाता | तेरे मन में ख़ुद खो जाता | ||
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मैं बिकता हूँ हर बार, मगर | मैं बिकता हूँ हर बार, मगर | ||
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हर बार ही वापस पा जाता ! | हर बार ही वापस पा जाता ! | ||
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क्या कोई जगह बताएगा - | क्या कोई जगह बताएगा - | ||
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जिस जगह मौत का खौफ न हो ! | जिस जगह मौत का खौफ न हो ! | ||
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मैं आशावादी शायर हूँ | मैं आशावादी शायर हूँ | ||
− | + | कुछ जो भी कहो, पर 'न' न कहो | |
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मैं निर्भय हूँ, ताक़तवर हूँ | मैं निर्भय हूँ, ताक़तवर हूँ | ||
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इस ख्वाहिश से घबरा जाता | इस ख्वाहिश से घबरा जाता | ||
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सपना तुम्हारी आंखों का मैं बन पाता | सपना तुम्हारी आंखों का मैं बन पाता | ||
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ऐ काश! कभी मैं बन पाता । | ऐ काश! कभी मैं बन पाता । | ||
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09:29, 16 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
सपना तुम्हारी आंखों का मैं बन पाता !
हर बार कभी आंधी आई
मैं तेरे ख्वाबों में छुपकर बच पाता हूँ,
अचरज न करो, है सच्चाई
अख़बार नहीं पढ़ पाता हूँ
बकबास करे हैं सबके-सब
कोई ख़बर न तेरी छपवाता !
कोई चश्मा ऐसा होता
जिससे मन तेरा पढ़ लेता
दुनिया की उलझन भूल कभी
तेरे मन में ख़ुद खो जाता
मैं बिकता हूँ हर बार, मगर
हर बार ही वापस पा जाता !
क्या कोई जगह बताएगा -
जिस जगह मौत का खौफ न हो !
मैं आशावादी शायर हूँ
कुछ जो भी कहो, पर 'न' न कहो
मैं निर्भय हूँ, ताक़तवर हूँ
इस ख्वाहिश से घबरा जाता
सपना तुम्हारी आंखों का मैं बन पाता
ऐ काश! कभी मैं बन पाता ।