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"प्यार / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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फूल के सारे दुख | फूल के सारे दुख | ||
ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं | ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं | ||
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09:45, 24 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण
अब्र-ए-बहार ने
फूल का चेहरा
अपने बनफ़्शी हाथ में लेकर
ऐसे चूमा
फूल के सारे दुख
ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं