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आसान नहीं / रमा द्विवेदी

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{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमा द्विवेदी }}{{KKCatKavita}}<poem>चुप-चुप रह कर आंसू पीना, आसान न यह गम होता है। मिट-मिट करके जीते जाना, आसान न यह दम होता है॥
बंधुआ बन-बन कर जीना,
आसान न वो मन होता है।
तप-तप कर कुछ बनते जाना,
आसान न यह फ़न होता है॥
तन का बंधन,मन का क्रंदन,
यह बोझ न कुछ कम होता है।
कोल्हू के बैल सा चलते जाना,
आसान न यह श्रम होता है॥
चुप-चुप रह कर आंसू पीना,<br>आसान न यह गम होता है।<br>मिट-मिट करके जीते जाना,<br>आसान न यह दम होता है॥<br><br> बंधुआ बन-बन कर जीना,<br>आसान न वो मन होता है।<br>तप-तप कर कुछ बनते जाना,<br><br>आसान न यह फ़न होता है॥<br> तन का बंधन,मन का क्रंदन,<br>यह बोझ न कुछ कम होता है।<br>कोल्हू के बैल सा चलते जाना,<br>आसान न यह श्रम होता है॥<br><br> सच्चाई पर चलते जाना ,<br>आसान न यह पथ होता है।<br>उम्मीदों पर जीवित रहना,<br>आसान न यह भ्रम होता है॥ <br><br/poem>
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