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"गोरी के जोबना / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर
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गोरी के जोबना हुमकन लगे, | गोरी के जोबना हुमकन लगे, | ||
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जैसे हिरनियों के सींग । | जैसे हिरनियों के सींग । | ||
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मूरख जाने खता फुनगुनू, | मूरख जाने खता फुनगुनू, | ||
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वे तो बाँट लगावे नीम । | वे तो बाँट लगावे नीम । | ||
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'''भावार्थ''' | '''भावार्थ''' | ||
--'गोरी के उरोज उभरने लगे, | --'गोरी के उरोज उभरने लगे, | ||
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हिरनी के सींगों समान | हिरनी के सींगों समान | ||
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मूर्ख उन्हें फोड़े-फुन्सी समझ रहा है | मूर्ख उन्हें फोड़े-फुन्सी समझ रहा है | ||
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और वह उन पर नीम के पत्ते रगड़ कर लगा रहा है' | और वह उन पर नीम के पत्ते रगड़ कर लगा रहा है' | ||
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02:55, 6 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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गोरी के जोबना हुमकन लगे,
जैसे हिरनियों के सींग ।
मूरख जाने खता फुनगुनू,
वे तो बाँट लगावे नीम ।
भावार्थ
--'गोरी के उरोज उभरने लगे,
हिरनी के सींगों समान
मूर्ख उन्हें फोड़े-फुन्सी समझ रहा है
और वह उन पर नीम के पत्ते रगड़ कर लगा रहा है'