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"अंतराल / वाज़दा ख़ान" के अवतरणों में अंतर
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23:10, 2 मार्च 2011 के समय का अवतरण
अन्तर्मन में रचा संसार और
बाह्य आवरण का संसार
न जाने क्यों अलग-अलग
ध्रुव बन जाते हैं
फिर तादातम्य स्थापित करने के
प्रयास में निरन्तर
अन्तराल ही बढ़ाते जाते हैं ।