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"ज़िंदगी / वाज़दा ख़ान" के अवतरणों में अंतर

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19:50, 3 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

संघर्ष में तब्दील करो ज़िन्दगी को

देखना तुम्हारी ख़वाहिशें कितनी
पारदर्शी हो जाएँगी
धवल चाँदनी-सी

ले जाएँगी तुम्हें
आसमान की उन ऊँचाइयों पर
जो कभी तुम्हारे वजूद की

परछाइयों में ढला करती थीं ।