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"जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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वे बातें जिन्हें हम छिपाया किये
 
वे बातें जिन्हें हम छिपाया किये
बता ही गए बातों-बातों में आप
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बता ही गये बातों-बातों में आप
  
 
उमीदें तो दिल की बुझीं इस तरह
 
उमीदें तो दिल की बुझीं इस तरह
दिए बुझते हैं जैसे रातों में आप
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चुभाये हैं किसने ये काँटे, गुलाब!
 
चुभाये हैं किसने ये काँटे, गुलाब!
 
खड़े हैं शहीदों की पाँतों में आप  
 
खड़े हैं शहीदों की पाँतों में आप  
 
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01:20, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप
कहाँ मुँह छिपायेंगे रातों में आप

हमें अपने ही हाल पर छोड़ दें
चले जायँ अब अपनी घातों में आप

वे बातें जिन्हें हम छिपाया किये
बता ही गये बातों-बातों में आप

उमीदें तो दिल की बुझीं इस तरह
दिये बुझते हैं जैसे रातों में आप

चुभाये हैं किसने ये काँटे, गुलाब!
खड़े हैं शहीदों की पाँतों में आप